पिछले 5 सालों में 32,000 छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई, राज्यसभा में मंत्री सुभाष सरकार ने बताई ये वजह

Parliament Monsoon Session: देश में हायर एजूकेशन में एडमीशन लेने के बाद पढ़ाई बीच में छोड़ देने वाले छात्रों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है. पिछले पांच साल के आंकड़ों पर अगर नजर डालेंगे तो ये आपको चौंकाने वाले हैं. शिक्षा मंत्रालय ने 2019 से लेकर अभी 2023 तक जो आंकड़े पेश किए हैं वह हैरान करने वाले हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार इस दौरान अभी तक 32 हजार से अधिक उन छात्रों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी जो देश के नामी संस्थानों में पढ़ाई कर रहे थे. इनमें आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स भी शामिल हैं. राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन छात्रों में से आधे से अधिक शेड्यूल कास्ट, शेड्यूल ट्राइब्स और अन्य पिछड़ी जातियों के हैं.

क्या कहते हैं सरकार के आंकड़े?

संसद के उच्च सदन राज्य सभा में शेयर किए गए एक डाटा में बताया गया है कि इनमें वह छात्र भी शामिल हैं, जो पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी कर रहे थे. केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि इसमें सर्वाधिक 17,454 छात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय के हैं. जबकि आईआईटी के 8,139 और एनआईटी के 5,623 छात्र हैं.

इसके अलावा आईआईएसईआर के 1,046 और आईआईएम के 858, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इनफारमेशन टेक्नोलाजी के 803, स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्कीटेक्चर के 112 छात्र शामिल हैं.

ये छात्र हुए ड्राप आउट 

पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार शेड्यूल कास्ट 4,423, शेड्यूल ट्राइब्स 3774, ओबीसी कैटेगिरी के 8,602 छात्रों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी. यह संख्या कुल छात्रों का करीब 52 परसेंट हैं. सरकार ने आगे बताया कि इन छात्रों में कई ऐसे थे, जिन्होंने गलत लाइऩ चुन ली और वह अपेक्षित रिजल्ट नहीं दे पा रहे थे.

इसके अलावा कुछ ने मेडिकल ग्राउंड के आधार पर तथा कुछ को निजी कारणों से पढाई छोड़नी पड़ी. उन्होंने कहा कि स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में प्लेमेंट की पेशकश और कहीं और बेहतर अवसरों के लिए व्यक्तिगत प्राथमिकता छात्रों द्वारा पढ़ाई छोड़ने के प्रमुख कारण हैं.

‘किए जा रहे प्रयास’

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि ड्राप आउट को कम करने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं. जिनमें छात्रों की शैक्षणिक प्रगति की निगरानी के लिए सलाहकारों की नियुक्ति, शैक्षणिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए कक्षाओँ का प्रावधान, सहकर्मी सहायता प्राप्त शिक्षा, तनावमुक्त परामर्श, मनोवैज्ञानिक शामिल हैं. इसके अलावा प्रेरणा और पाठ्येत्तर गतिविधियां भी शामिल हैं.

ये भी पढ़ेंः हायर एजुकेशन के लिए इंस्टीट्यूट चुनते समय इन बातों का रखें खास ध्यान, मिलेगी क्लैरिटी नहीं होगा नुकसान

 



Supply by [author_name]

Exit mobile version