हार तय होने के बाद भी विपक्ष क्यों ला रहा है सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव? जानें वजह

Parliament Monsoon Session: मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष में गतिरोध बरकरार है. इस बीच हमलावर विपक्ष बुधवार (26 जुलाई) को मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना में है. निचले सदन में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि विपक्षी दल बुधवार को सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे.

अधीर रंजन चौधरी का बयान

अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ”आज (25 जुलाई) यह निर्णय लिया गया है कि हमारे पास अविश्वास प्रस्ताव का सहारा लेने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होगा क्योंकि सरकार मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी दलों की मांग स्वीकार नहीं कर रही है. कम से कम पीएम को संसद में कड़ा बयान देना चाहिए क्योंकि वह भारत के प्रधानमंत्री के अलावा संसद में हमारे नेता भी हैं, लेकिन वह हमारी मांग को अस्वीकार कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा, ”हालांकि, यह स्वाभाविक तौर पर एक सहज मांग है फिर भी प्रधानमंत्री हमारी मांग पर विचार नहीं कर रहे हैं. इसीलिए हमने अविश्वास प्रस्ताव लाने की सोची. जहां मुख्य विपक्ष की दलील है कि सरकार पर लगाए गए आरोपों का जवाब खुद प्रधानमंत्री की ओर से दिया जाना चाहिए. इस प्रयास से हमें निराशा मिली और कोई अन्य विकल्प न मिलने पर हम इस संसदीय साधन का सहारा लेने के लिए मजबूर हैं जिसे अविश्वास प्रस्ताव कहा जाता है.”

हार तय होने पर भी विपक्ष क्यों ला रहा अविश्वास प्रस्ताव?

सवाल उठता है कि संख्याबल के हिसाब से हार तय होने के बाद भी विपक्ष यह कदम क्यों उठा रहा है? न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विपक्षी दलों की दलील है कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकर को घेरकर अवधारणा बनाने की लड़ाई जीत जाएंगे. विपक्षी दलों ने दलील दी कि यह मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में बोलने के लिए विवश करने की रणनीति भी है. 

सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा का जवाब केवल केंद्रीय गृह मंत्री देंगे. वहीं विपक्षी पार्टियों का साफ-साफ कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में मणिपुर पर जवाब दें.

अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय

अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है क्योंकि संख्याबल स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में है और विपक्षी समूह के निचले सदन में 150 से कम सदस्य हैं. सूत्रों ने बताया कि मणिपुर हिंसा के मुद्दे को लेकर विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दल लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकते हैं.  

हालांकि, यह अध्यक्ष पर निर्भर करता है कि वह सदन में नोटिस पर कब चर्चा कराते हैं. सूत्रों ने बताया कि मणिपुर के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर संसद के भीतर बयान देने का दबाव बनाने के कई विकल्पों पर विचार करने के बाद यह फैसला किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव ही सबसे कारगर रास्ता होगा, जिसके जरिये सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विवश किया जा सकेगा.

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